President Droupadi Murmu: राष्ट्रपति को नहीं मिलती ‘SPG’ और ‘NSG’ सुरक्षा, जानें किसके कंधों पर होती है हिफाजत की जिम्मेदारी

Photo of author

By DT News Desk

Rate this post

President Droupadi Murmu: भारत में राष्ट्रपति को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप ‘एसपीजी’ या नेशनल सिक्योरिटी गार्ड मतलब ‘एनएसजी’ की सुरक्षा नहीं मिलती है। देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान प्रथम नागरिक के पास जो सुरक्षा होती है, उसकी कोई श्रेणी जैसे जेड प्लस, जेड या वाई आदि भी नहीं होती। राष्ट्रपति की सुरक्षा में जो गार्ड्स तैनात रहते हैं, वे बहुत खास होते हैं। उनकी योग्यता या चयन का मापदंड, एसपीजी या एनएसजी से कम नहीं होता। राष्ट्रपति की हिफाजत करने की जिम्मेदारी ‘प्रेसीडेंट्स बॉडी गार्ड्स’ पीजीबी को सौंपी गई है। इस दस्ते में मौजूद कई अधिकारी और जवान, भारतीय सेना की पैराशूट रेजीमेंट की स्पेशल फोर्स यूनिट से आते हैं। राष्ट्रपति, भारत की तीनों सेनाओं के सुप्रीम कमांडर होते हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा भी खास रहती है। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सुरक्षा, भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजीमेंट को सौंपी गई है।

जाट, सिख और राजपूत समुदाय से आते हैं सुरक्षाकर्मी

अमूमन, राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी, जिन्हें प्रेसीडेंट्स बॉडी गार्ड्स कहा जाता है, यह दल भारतीय सेना की घुड़सवार रेजीमेंट का हिस्‍सा होता है। राष्ट्रपति भवन और उसके बाहर, प्रेजीडेंट की सुरक्षा की जिम्मेदारी इसी दल को प्रदान की गई है। हालांकि यहां पर एक सवाल कई बार चर्चा का विषय बना है कि राष्ट्रपति के सुरक्षा दस्ते में केवल तीन ही जातियों या समुदाय से जुड़े जवानों को ही प्रमुखता क्यों दी जाती है। मौजूदा सुरक्षा दस्ते में जितने भी जवान शामिल हैं, वे जाट, सिख और राजपूत समुदाय से आते हैं। लगभग 170 जवान और डेढ़ दर्जन अधिकारी, राष्ट्रपति की सुरक्षा करते हैं। दस्ते में शामिल चार अधिकारियों को एडमिनिस्‍ट्रेटिव सपोर्ट हासिल होता है। इसके अलावा 11 जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स (जेसीओ) भी रहते हैं।

ALSO READ  Indian Navy: चीन के छक्के छुड़ाएंगे Vikrant और Romeo, दोनों की जोड़ी मचाएगी तहलका

छह फीट लंबाई होना पहली शर्त

राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात दस्ते में केवल तीन जातियों को प्रमुखता देना, इसे लेकर 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। भारतीय सेना द्वारा ‘पीबीजी’ में तीन जातियों के सैनिकों को अवसर देना, अदालत ने इस फैसले को सही बताया था। उससे पहले भी इस तरह की जनहित याचिका लगाई जाती रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट, सेना की संस्तुति पर 2013 में राष्ट्रपति सुरक्षा गार्ड की नियुक्तियों में जाट, राजपूत और सिखों को ही शामिल करने का आदेश दे चुका है। खास बात ये है कि पीबीजी का गठन देश की आजादी से पहले हुआ था। 1773 में पहली बॉडी गार्ड यूनिट गठित हुई थी। इस यूनिट में आने वाले अधिकारियों या जवानों की लंबाई छह फीट होना, एक अनिवार्य शर्त होती है। हालांकि 1947 से पहले छह फीट तीन इंच वाले जवान इस यूनिट में आते थे। यह यूनिट भारतीय सेना की घुड़सवार रेजीमेंट का अहम हिस्‍सा होती है।

कमांडेट के सामने तलवार पेश करता है जवान

अंग्रेजी हुकूमत के गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में जब इस यूनिट को खड़ा किया गया, तो इसमें लगभग चार दर्जन जवान शामिल किए गए। इन्हें वायसराय की सुरक्षा में तैनात किया जाता था। बाद में इनकी 100 तक पहुंच गई। आजादी के बाद भी सेना की इस अहम यूनिट को भंग नहीं किया और इसे भारतीय राष्ट्रपति के अंगरक्षक दस्ते के तौर पर मान्यता दे दी गई। इस यूनिट में जगह बनाना आसान नहीं है। डेढ़ दो साल की कठोर ट्रेनिंग के बाद ही जवान, पीबीजी का हिस्सा बन सकते हैं। इस दस्ते में शामिल जवानों को पैरा कमांडो की ट्रेनिंग मिलती है। राष्ट्रपति के सुरक्षा दस्ते यानी पीबीजी का हिस्सा बनने के लिए जवान को अपनी तलवार अपने कमांडेंट के सामने पेश करनी होती है। उसे छू कर ही कमांडेंट, संबंधित जवान को राष्ट्रपति की सुरक्षा देने वाली यूनिट में शामिल करता है।

ALSO READ  A Padma Bhushan for Progress: Young Liu and the Blossoming India-Taiwan Partnership
Follow us on Google News
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Leave a Comment